नवरात्रि चौथा दिन — कूष्माण्डा देवी: अलंकार, महत्व और पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन, भक्त माँ कूष्माण्डा की पूजा करते हैं—जो ब्रह्मांड को प्रकाशित करने वाली तेजस्वी सृजनकर्ता हैं। पारंपरिक कथाएं उनके नाम को कु (थोड़ा) + उष्मा (गर्मी/ऊर्जा) + अंड (ब्रह्मांडीय अंडा) के रूप में समझाती हैं, जो उस आदिम "चिंगारी" को इंगित करता है जिससे ब्रह्मांड का विस्तार होता है। प्रतिमा विज्ञान के अनुसार वह अष्टभुजा (आठ भुजाओं वाली) हैं, शेर/बाघ पर सवार हैं, जपमाला, धनुष और बाण, कमल, चक्र, गदा, कमंडल और अमृत कलश ( अमृत-कलश) धारण करती हैं। वह सूर्य की चमक से भी जुड़ी हुई हैं—भक्त उन्हें जीवन शक्ति, स्वास्थ्य और शुभ नई शुरुआत के स्रोत के रूप में ध्यान करते हैं।
कूष्माण्डा देवी अलंकार (मंदिर और घर)
- रूप और रूपांकन: आठ भुजाएं शक्ति–हथियारों और वरदानों के साथ प्रदर्शित; शांत मुख; एक मृदु दीप्तिमान प्रभामंडल; वाहन के रूप में शेर/बाघ।
- वस्त्र और स्वर: गर्म, सूर्य-समान रंग (सोना/गेरू/केसर) ताजे फूलों के साथ; एक छोटी घंटा (घंटी) और अमृत-कलश को छवि के पास व्यवस्थित करें।
- प्रसाद: मौसमी फल; कई परंपराएं इस दिन को कूष्माण्ड (पेठा) या सफेद कद्दू की तैयारियों से जोड़ती हैं; उत्तर भारतीय गाइड आमतौर पर मालपुआ को भोग के रूप में सुझाते हैं। इन्हें प्रतीकात्मक मानें—एक साधारण, सात्विक प्रसाद चुनें जो आपके स्वास्थ्य और वंश के अनुकूल हो।
महत्व (आंतरिक साधना)
- ब्रह्मांडीय मुस्कान: आंतरिक भारीपन को दूर करने वाली "पहली रोशनी"; आध्यात्मिक अनुशासन के रूप में प्रसन्नता विकसित करें।
- सौर जीवन शक्ति: उन्हें ऊर्जा के हृदय के रूप में देखें—श्वास/प्रार्थना में स्थिरता, कर्म में गर्मी और इरादे में स्पष्टता।
- अष्टभुजा प्रतीकवाद: कई हाथ एकीकृत प्रयास को इंगित करते हैं—भक्ति, अनुशासन, दान, अध्ययन, सेवा, और धर्म की साहसी सुरक्षा।
पूजा विधि (सरल, प्रामाणिक और करने योग्य)
मंत्र-जप: " ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः — ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः" का एक निश्चित संख्या में जप करें। आप अपनी परंपरा के मानक नवदुर्गा स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं।
विधि का संक्षिप्त अवलोकन: सुबह स्नान और संकल्प → (पहले दिन की घटस्थापना पहले ही हो चुकी है) → आवाहन के साथ कूष्माण्डा का आह्वान → गंध, अक्षत, फूल, धूप, दीप अर्पित करें → मंत्र/स्तोत्र → नैवेद्य (फल/मिठाई जैसे मालपुआ या दूध से बनी मिठाइयां, या कद्दू-आधारित भोग) → आरती → क्षमाप्रार्थना। वस्तुओं को सरल रखें; वस्तुओं की संख्या से अधिक ध्यान और स्वच्छता मायने रखती है।
तीसरे दिन से चौथे दिन तक — आंतरिक सेतु
तीसरे दिन की चंद्रघंटा साहस को स्थिर करती है; चौथे दिन की कूष्माण्डा उस स्थिरता को तेजस्वी उत्साह और उत्पादक शक्ति में बदल देती है—जो अध्ययन, सेवा या स्वास्थ्य के व्रत को शुरू करने या नवीनीकृत करने के लिए आदर्श है।
जहां नवरात्रि बड़े पैमाने पर मनाई जाती है
नवरात्रि पूरे भारत में मनाई जाती है, लेकिन कुछ स्थान अपने पैमाने, विरासत या शक्ति– पीठ की पवित्रता के लिए प्रसिद्ध हैं:
- मैसूर (श्री चामुंडेश्वरी, कर्नाटक) — राज्योत्सव "मैसूर दशहरा" में महल के कार्यक्रम, चामुंडी पहाड़ी के अनुष्ठान, प्रदर्शनियां और प्रसिद्ध विजयदशमी जम्बू सवारी शामिल हैं।
- श्री माता वैष्णो देवी, कटरा (जम्मू-कश्मीर) — शरद नवरात्रि में श्राइन बोर्ड की व्यवस्था और दैनिक आरती के साथ बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं।
- कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी (असम) — शारदीय दुर्गा पूजा/नवरात्रि को चंडी पाठ और कुमारी-पूजा के साथ एक विशिष्ट पखवाड़े की लय में मनाया जाता है।
- अंबाजी और पावागढ़ (गुजरात) — गुजरात के शक्ति– पीठ परिपथों में से; नवरात्रि के दौरान बड़े पैमाने पर गरबा परंपराएं और मेले।
- मदुरै मीनाक्षी (तमिलनाडु) — क्लासिक गोलू प्रदर्शन, दैनिक अलंकारम, और राज्य-सूचीबद्ध उत्सव।
- कोलकाता — कालीघाट और दक्षिणेश्वर (पश्चिम बंगाल) — दुर्गा पूजा का गढ़; इस मौसम में मंदिर दर्शन और सांस्कृतिक कार्यक्रम बढ़ जाते हैं।
- नैना देवी जी, बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश) — एक प्रसिद्ध शक्ति– पीठ; विशेष नवरात्र दर्शन का समय और मेले।
साधना के लिए मुख्य बातें (चौथा दिन)
- कुछ शुभ शुरू करें: एक अध्ययन योजना, स्वास्थ्य दिनचर्या, या दान का व्रत—"सृजन" विषय को एक छोटी, सुसंगत शुरुआत के साथ संरेखित करें।
- गर्मी अर्पित करें: एक स्थिर दीपक और एक दयालु शब्द रखें—सौर भक्ति आचरण के माध्यम से व्यक्त होती है।
- भोग को सरल रखें: फल, दूध की मिठाइयां, या कद्दू-आधारित व्यंजन—वह चुनें जो मन को हल्का और स्थिर रखे।
संदर्भ और अतिरिक्त पठन
- नवदुर्गा अवलोकन और कूष्माण्डा का प्रतिमा विज्ञान (शास्त्रीय सारांश और मंदिर की पुस्तिकाएं)।
- मैसूर दशहरा — आधिकारिक पोर्टल (त्योहार कार्यक्रम, महल/चामुंडी कार्यक्रम)।
- श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड — नवरात्र व्यवस्था और मंदिर की जानकारी।
- कामाख्या देवालय — शारदीय दुर्गा पूजा/नवरात्रि अभ्यास।
- गुजरात पर्यटन — नवरात्रि, अंबाजी और पावागढ़।
- तमिलनाडु पर्यटन — नवरात्रि/गोलू; मीनाक्षी मंदिर पृष्ठ।
- पश्चिम बंगाल/दक्षिणेश्वर संदर्भ — दुर्गा पूजा का मौसम और मंदिर पोर्टल।
- नैना देवी मंदिर — आधिकारिक साइट (विशेष नवरात्र दर्शन का समय/मेले)।
लेखक के बारे में
संतोष कुमार शर्मा गोलापल्ली एक वैदिक ज्योतिषी और OnlineJyotish.com (स्थापित 2004) के संस्थापक हैं। वह स्विस-एफ़ेमेरिस और शास्त्रीय धर्मशास्त्र नियमों के साथ बहुभाषी पंचांग और त्योहार कैलकुलेटर विकसित करते हैं, और शास्त्रों को दैनिक जीवन से जोड़ने वाले व्यावहारिक गाइड लिखते हैं।
सामान्य मंदिर प्रथाओं और उद्धृत स्रोतों के साथ संरेखण के लिए समीक्षित।


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